Sunday, June 28, 2020

बहुजन समाज के लोगों को अब आपको समझना बहुत जरूरी है

बहुजन समाज के लोगों को अब आपको समझना बहुत जरूरी है, नही आप टुटपुंजिया नेता व संगठनों के चक्कर मे फँसकर भविष्य बर्बाद कर लेंगे और आपकी आने वाली पीढ़ी आपको गाली देगी..?




वर्तमान में जितने भी बहुजन समाज और गरीबों पर अत्याचार हो रहे हैं ये सब कांग्रेस की देन है जो 70 साल तक इनकी गरीबी को दूर करने के नाम से वोट लेती रही वो नही की, ना ही कानून व्यवस्था सुधार पायी।

बहुजन समाज आज तक नही समझ रहे कि जो अत्याचार भाजपा सरकार कर रही है इसकी मुख्य गुनाहगार कांग्रेस है जो सिर्फ झूठ बोलकर वोट लेती रही लेकिन इन वर्गों को पूर्णरूप से सभी क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व न दे सकी।

बहुजन समाज लोगों को ये समझना होगा, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक हैं, कांग्रेस ने रास्ता तैयार किया और आज भाजपा सरकार उसी रास्ते से चलकर आज अत्याचार कर रही है।

कांशीराम साहब ने कांग्रेस को सांपनाथ कहा इसका मतलब सांप के कई रूप होते हैं कुछ में ज्यादा जहर होता है कुछ में कम जो धीरे धीरे असर करता है तो ये कांग्रेस धीरे-धीरे मारने का काम करती है।

कांशीराम साहेब भाजपा को नांगनाथ कहते थे इसका मतलब था इसका रूप व कार्य साफ दिखता है जाति,सम्प्रदाय व हिंदुत्व को बढ़ावा देना ।
आज भाजपा सरकार में जातीय व धार्मिक हिंसा चरम सीमा पर है।


बहुजन समाज 70 सालों में कांग्रेस आपसे वोट लेकर ठगने का काम किया है और आज भाजपा आपका वोट लेकर आपको कुछ लॉलीपॉप देकर आपके संवैधानिक अधिकारों को समाप्त कर रही है, साथ ही कानून व्यवस्था को ठप्प कर आपके ऊपर अत्याचार करने का काम कर रही है।

बहुजन समाज आपको ये समझना होगा बोलने और आंदोलन करने से आपका भला नही होने वाला है बल्कि आपके ऐसा करने से आपके ऊपर धाराएं लगाकर आपको जेल में डाल दिया जाएगा और परेशान किया जाएगा।
यदि आप अपनी सरकार बना लें तो आपकी सारी समस्याओं का निजात हो जाएगा।

बहुजन समाज आपको ये समझना होगा यदि बोलने और आंदोलन करने से आपकी सारी समस्याओं का निजात हो जाता तो बाबा साहेब,कांशीराम कभी केंद्र और राज्य सरकार में अपने प्रतिनिधित्व को बनाने के लिए लड़ाई न लड़ते, न ही आज बहनजी शासन सत्ता पहुँचने की लड़ाई लड़तीं। जब बोलने और आंदोलन से ही सभी समस्याओं से निजात मिलती तो हमारे महापुरुष यही करते, शासनसत्ता में जाने की तैयारी कभी न करते।

हमारे लोग ये नही समझते भाजपा सरकार इसी का तो इन्तेजार कर रही है कि बहुजनों के बड़े नेता बोले और आन्दोलन करें जिससे उनके ऊपर भारत के कोने कोने में F.I.R. करवाकर, उन्हें जेल में डाल दें और इसी में उलझाए रखें ताकि वो बहुजनों को शासनसत्ता का मतलब न समझा सकें, इसी में उलझे रहें, कोर्ट न पहुँचने पर रोज नोटिस जारी करते रहें और प्रताड़ित करते रहें।
बहनजी इसे बखूबी समझती हैं।

बहुजन समाज के लोगों बहनजी अच्छी तरह से जानती हैं ज्यादा बोलने और आन्दोलन करने से क्या होगा, भाजपा सरकार ऐसा फसाने की कोसिस करेगी कि जो आपने कृत्य किया ही नही उसमे भी फँसा देगी, फिर हल्ला करते रहिए आपकी सुनने वाला कोई नही, लालूजी बोल रहे थे देख लीजिए आज वो जेल में हैं और लालूजी कहते हैं हमने ये घोटाला नही किया है बल्कि मैं ही इस घोटाले को सामने लाया हूं, कौन सुन रहा है, और लालूजी के समर्थक कितना आंदोलन कर रहे हैं उन्हें छुड़ाने के लिए, कानून के सामने सब ठंड पड़ जाते हैं। बहनजी सारी स्थिति को समझती,जानती हैं इसलिए बहनजी को समझो। बहनजी आपको शासक बनाना चाहती हैं इसलिए वो हमेशा कहती हैं अपनी सरकार बनाओ, जब आपकी सरकार होगी तभी आप और आपके अधिकार सुरक्षित रहेंगे और आपको धर्म व जाति से ऊपर मानव का दर्जा मिलेगा।
इसलिए टुटपुँजिया नेताओं व संगठनों के चक्कर मे मत पड़ो।


माननीया बहनजी का साथ दें और आने वाले चुनावों में केंद्र व राज्यों में बसपा की सरकार बनाएं।

समस्त बहुजन महापुरुष अमर रहें!
बाबा साहेब अमर रहें!
मान्यवर साहेब अमर रहें!

बसपा जिन्दाबाद
बहनजी जिन्दाबाद

नमो बुद्धाय जय भीम जय भारत



             निवेदक
          रावेंद्र कुमार


Sunday, June 21, 2020

मोदी को देश से ज्यादा, अपनी छबि प्यारी है।

 मोदी को देश से ज्यादा, अपनी छबि प्यारी है।


प्रधानमंत्री जी के आज के भाषण से देश की जनता को शहीदों की शहादत और LAC पर कोई ठोस जवाब तो नहीं मिला हैं, बल्कि सभी देशवासियों के मन मे तमाम सवाल जरूर उठने लगे है कि जब "न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है" तो... 👇
👉6 जून की बैठक क्यों तय की गई?
👉क्यों हमारे सैनिक ‘मारते मारते मरे’?
👉अगर चीन ने हमारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा ही नही किया तो चीन वार्ता किस विषय में चल रही है?
👉अगर क़ब्ज़ा नही तो 2.5 KM चीन पीछे कहाँ से गया था? 
👉हमारे 20 जवानो ने अपनी धरती आज़ाद कराने के लिये अपने प्राणो का बलिदान क्यों देना पड़ा?
👉क्या चीन का दावा सही है कि वह जहां बैठा है वह उसी का इलाक़ा है?
👉क्या गलवान घाटी पर मोदी जी ने अपना दावा छोड़ दिया?
👉जब चीन हमारे इलाक़े में घुसा ही नहीं है तो फिर इतना घमासान क्यों मचा है?
👉20 जवान…
 प्रधानमंत्री जी के सर्वदलीय बैठक के भाषण से देश की जनता को शहीदों की शहादत और LAC पर कोई ठोस जवाब तो नहीं मिला हैं, बल्कि सभी देशवासियों के मन मे तमाम सवाल जरूर उठने लगे है कि जब "न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है" तो... 👇

👉जब चीन हमारे इलाक़े में घुसा ही नहीं है तो फिर इतना घमासान क्यों मचा था या है मोदी जी आप ने सर्वदलीय मीटिंग, LAC के मुद्दे पर दोनों सेनाओं में बातचीत, सचिव और रक्षामंत्री विदेश मंत्री की इतनी बैठकें क्यों?
👉फिर मोदी जी आप ने क्यों कहा कि हमारे सैनिक ‘मारते मारते मरे’ थे?
👉अगर चीन ने हमारी ज़मीन पर कब्जा ही नही किया तो चीन वार्ता किस विषय में चल रही थी या है?
👉अगर चीन कब्जा नही किया था तो मीडिया और सत्ताधारी नेता क्यों कह रहे थे कि चीन 3 KM पीछे चला गया था? 
👉फिर हमारे 20 जवानो ने अपनी धरती आज़ाद कराने के लिये अपने प्राणो का बलिदान क्यों देना पड़ा था?
👉क्या भारतीय मीडिया, विदेशी मंत्री और रक्षामंत्री जी भी चीन की घुसपैठ किया है झूठ कह रहे थे?

👉क्या अब पेट्रोलिंग करने पैंगोंगलेक के फिंगर 4 से आगे नही जायंगे?
👉क्या चीन का दावा सही है कि वह जहां बैठा है वह उसी का इलाक़ा है?
👉क्या गलवान घाटी पर मोदी जी ने अपना दावा छोड़ दिया?
👉क्या हमने अक्साई चिन को छोड़ दिया?

👉20 जवान भी आज सोच रहे होंगे कि जब चीन हमारी ज़मीन पर घुसा ही नहीं और ना हमारी ज़मीन चीन के क़ब्ज़े में है तो हम आख़िर शहीद ही क्यों हुए ?
👉चीन को मुँहतोड़ जवाब देने की जगह देश के प्रधानमंत्री ने ‘हमारी कोई जमीन कब्जा नहीं हुई है’ कह कर 20 जवानों की शहादत को झुठला दिया। 
👉कोई इसकी गारंटी लेगा कि चीन अब आगे नही बढ़ेगा ?
👉छवि बनी रहे इसलिए गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हुए, इसकी जानकारी अगले दिन दी गई।
👉छवि बनी रहे इसलिए मेजर औए कप्तान समेत 10 जवान उसी दिन से चीनी सेना के कब्ज़े में थे, इसकी जानकारी उन्हें छोड़े जाने के बाद हुई।
👉छवि बनी रहे इसलिए सरकार, देश की जनता से अपने वीरों के बारे में सही जानकारी क्यों छिपा रही है।
👉छवि बनी रहे इसलिए सरकार के द्वारा सेना से भी झूठ बोलवाया जा रहा है।
👉आपकी छवि भी तभी तक सुरक्षित है जब तक देश और सीमा सुरक्षित है।
👉आपकी छवि बनी रहे, इसलिए देश से इतना बड़ा झुठ बोल दिया।
👉आपकी छवि बनी रहे, इसलिए आप ने गलवान को अपना हिस्सा भी नही मान रहे है।
👉राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा से जुड़े मामलों पर मोदी जी द्वारा अपनी छवि बनाने के लिये राजनीति करते देख मन व्यथित हो जाता है।


👉सेना और देश की सुरक्षा के मामले में देश को अंधेरे में रखकर खुद मोदी जी गुमराह करते है और शहादत क्यों हुयी और देश की सीमा कितनी सुरक्षित है सवाल पूछने वालों को देशद्रोही कहते हो।





DEEPAK PANDEY(SOCIAL ACTIVIST)

Saturday, June 20, 2020

सोच-विचार करने वाला समाज बनाना अत्यंत आवश्यक है

सोच-विचार करने वाला समाज बनाना अत्यंत आवश्यक  है
Kusmunda,korba(C.G)


सोच, सोचना एवं सोचने का हुनर या सोचने का कौशल्य हासिल करना ये तीन अलग-अलग विषय है । इनकी भिन्नता को समझना मानवतावादी विचारधारा को लागू करने वालों के लिए जानना, मानना और अमल करना अत्यंत जरूरी है । 
हमारे महापुरुषों जिनमें............
बाबा गुरु घासीदास जी
महात्मा ज्योतिबा फुले(पटेल) जी
छत्रपति शाहू जी (कुर्मी) राजा जी
बाबा साहब डॉ. अंबेडकर जी के लगभग 160 वर्षो के अनवरत-अथक संघर्ष से निर्मित मानवतावादी विचारधारा का निर्माण हुआ है । 
मानवतावादी विचारधारा को हम सोच या विचारधारा कह सकते हैं यह सोच या विचारधारा महापुरुषों के सोचने की कृति का परिणाम है । जिस किसी ब्यक्ति की सोचने की कृति कौशल्यपूर्ण होती है, वही लोग विचारधारा के संघर्ष को आगे बढ़ा पाते हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि सोचने के कौशल्य में प्रवीणता ही मनुष्य के जीवन को सार्थक बनाती है ।

यहां मैनें सोचने के कौशल्य का उपयोग और महत्व प्रकट किया है । कारण जो ब्यक्ति सोचने के कौशल्य में विशेष महारथ हासिल करता है, वही ब्यक्ति ऊंचे-ऊंचे मापदंडों को लांघ पाता है  इसके उदाहरण हमारे महापुरुष हैं । 

साधारण स्थिति में पैदा हुए ये ब्यक्ति महापुरुषों की श्रेणी को भी लांघ चुके हैं । कारण वे सभी बुद्धिमान एवं प्रतिभावान तो थे, परंतु अपने त्यागी व संघर्ष जीवन से उन्होंने *सोचने के कौशल्य* में विशिष्ट प्रवीणता हासिल कर लिए थे । इसलिए वे अपने जीवन मे प्रत्येक मुसीबत, आफत या कठिनाई का सामना कर सके तथा वे बेहतरीन रास्ते ढूंढने में कामयाब रहे हैं ।

महापुरुषों के प्रयासों के परिणामस्वरूप हम लिखे - पढ़े लोग है जिनसे बोधिसत्व बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने बड़ी अपेक्षाएं की थी ये लिखे - पढ़े लोग समाज के लिए उपयोगी बनेंगे, अपने समाज को सोचने वाले समाज बनाएंगे । 

सोचते तो हम सभी हैं कि समाज के लिए उपयोगी बनें लेकिन रास्ते ढूंढने में हमारी असमर्थता ही  हमारी मुसीबत बन जाती है । 

दुसरी तरह समस्या व अफसोस यह भी है कि शिक्षण ब्यवस्था ने हमें सोचना-विचार करना नही सिखाया । कारण मात्र  यही है कि हमे हमारे ही देश में मनुवादी ब्यवस्था के अंतर्गत केवल शिक्षा के अधिकार से वंचित ही नही किया गया, बल्कि हमसे सोचने का नैसर्गिक अधिकार भी छीन लिया गया था, परिणामतः हम हजारों वर्षों तक गुलाम बने रहे । अर्थात शिक्षण-संस्थानों से पाठ्यक्रमों के माध्यम से सोचने का कौटिल्य या हुनर का ज्ञान देने बंद  कर दिया गया । 
अंत मे अब मैं यह कह सकता हूँ कि इन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए यह हमारी-आपकी जिम्मेवारी बनती है कि हम  हमारे जाति/समाज/वर्ग को सोच-विचार करने वाला समाज बनाएं ।
और जब हम सोच-विचार करने वाले बन जाएं तभी जाति/समाज/वर्ग में प्रबोधनकर्ता बनें तब लोग हमसे संगठित हो पाएंगे।

 और यदि इस बात को नही समझना/मानना चाहते तो देख लीजिए अनसुलझे नेतृत्वकर्ताओं के कार्य करने के तरीकों से/ भाषणों से जाति/समाज का क्या हाल हो रहा  है




जय सेवा, जय सतनाम,जय भीम
रमेश जाटवर

Thursday, June 18, 2020

हाथी हमारा चुनाव चिन्ह, शक्ति और बुलंद हौसले का प्रतीक

हाथी हमारा चुनाव चिन्ह, शक्ति और बुलंद हौसले का प्रतीक


     बहुजन समाज पार्टी का गठन , चूंकि बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर जैसे महापुरुष के समतामूलक सपने एवं इंसानियत पर आधारित समाज बनाने के उद्देश्य से ही किया गया है, इसलिए उनकी हर बात हमारे लिए कानून का दर्जा रखती है । वैसे भी बहुजन समाज पार्टी अम्बेडकरवादी संघर्ष है और तब तक रहेगा जब तक *सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति* का बहुजन समाज का आंदोलन पूरी तरह सफल नही हो जाता ।
     अब चुनाव चिन्ह के मामले को लें । बी.एस. पी. अगर चाहती तो साइकिल चुनाव चिन्ह उसे आसानी से देश भर के लिए मिल सकता था । लेकिन बी.एस.पी. ने बाबा साहब का रास्ता अख्तियार करते हुए " हाथी " चुनाव चिन्ह चुना ।


     लोगों की राय थी कि चुनाव चिन्ह *साइकिल* होनी चाहिए क्योंकि बी.एस.पी. का ज्यादातर जन-आंदोलनों को भारत भर में पार्टी समर्थक, कार्यकर्ताओं ने जन-जन तक साइकिल पर सवार होकर ही पहुंचाया था । यह बहुजन समाज के गरीब, कमजोर व साधनहीन लोगों का सबसे कम खर्च वाला व कहीं भी पहुंचने वाला आसान साधन है । इसी साधन के माध्यम से बी.एस.पी. ने अपनी बड़ी-बड़ी रैलियों, जनसभाओं व अन्य कार्यक्रमो को बड़े पैमाने पर सफल भी बनाये हैं । पार्टी के संस्थापक व जन्मदाता मान्यवर कांशीराम जी ने खुद साइकिल पर सवार होकर अपने महापुरुषों के विचारों व आंदोलनों को, जन-जन तक पहुंचाने के लिए कई हजार किलोमीटर साइकिल यात्राएं की । इस प्रकार बी.एस.पी. और साइकिल एक-दूसरे के पूरक बन गए थे ।
     बाबा साहब की भावना हमे प्रिय है, क्योंकि वह पवित्र उद्देश्यों पर आधारित है । सबसे पहले *हाथी* चुनाव हमारी पार्टी को उत्तर प्रदेश और पंजाब के अच्छे परफॉर्मेंस की बदौलत पूरे देश मे हमारे लिए आरक्षित हुआ । *हाथी* हमारी शक्ति और बुलंद हौसले का भी प्रतीक है । साथ ही हमारा प्रिय नारा भी है कि:-
 चलेगा हाथी, उड़ेगी धूल
  न रहेगा पंजा (कांग्रेस)
 न रहेगा फूल (भाजपा)

भारत के निर्वाचन आयोग ने मई 1991 में होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा के लिए *हाथी* चुनाव चिन्ह बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी) के उम्मीदवारों के लिए 17 अन्य राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों में आरक्षित





करने का निर्णय लिया । दो बड़े राज्यों पंजाब और उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. को मान्यता प्राप्त होने के कारण हाथी चुनाव चिन्ह पहले से ही आरक्षित है । 
     निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के पैरा 10 के तहत पत्र क्रमांक:56/46/90, दिनांक 16 अप्रेल 1991 द्वारा सभी 17  राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को टेलेक्स उस वायरलेस भेजकर इस फैसले की जानकारी दी गयी है ।


हाथी चिन्ह के बारे में बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के विचार:
भाई गुराची नरडी थोटुन पोसलेसी वाथ, सिंहाची क्रूर शक्ति आणि हत्तीची निष्पाप बलाढ्य शक्ति, यामध्यें जितकाफरक आहे, तद्धटच भांडवलदाराच्या मिलघावर कष्टकारी बहुजन समाजच्या रक्तावर पोसलेले इतर राजकीय पक्ष आणि माझा  हांच्यात आहे म्हणूनच मझया पक्षाची अधिकृत निशाणी 'हत्ती आहे ।

*हिंदी अनुवाद:-----*
*मवेशियों के गला घोंटकर पले हुए बाघ, सिंह की बर्बर शक्ति में और हाथी की निष्पाप असीम शक्ति में जितना अंतर है, उतना ही अंतर पूंजीपतियों द्वारा मेहनतकश बहुजन समाज के खून पर पाली हुई अन्य राजनीतिक पार्टियों और मेरी पार्टी में अंतर है । इसलिए मेरी पार्टी का अधिकृत चिन्ह *हाथी* है । 
  (बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर)
     बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार इसके बाद, पंजाब और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ जिन अन्य 17 राज्यों  व केंद्र शासित क्षेत्रों में आरक्षित चुनाव चिन्ह *हाथी* पर चुनाव लड़ सकेंगे वे हैं - 
1.   जम्मू व कश्मीर 
2.   हिमाचल प्रदेश
3.   हरियाणा
4.   राजस्थान
5.   मध्यप्रदेश
6.   गुजरात
7.   महाराष्ट्र
8.   कर्नाटक
9.   केरल
10. आंध्रप्रदेश
11. उड़ीसा
12. पश्चिम बंगाल
13. बिहार
14. चंडीगढ़
15. दिल्ली
16. दादर एवं नगर हवेली तथा
17. दमन और दिव ।


(साभार: मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन मूवमेंट का सफरनामा  लेखक:बहन कु.मायावती जी )



जय भीम
रमेश जाटवर

Sunday, June 14, 2020

मायायुग की कहानी - बहुजन समाज के लिए एक सबक हैं

मायायुग की कहानी - बहुजन समाज के लिए एक सबक हैं


कवर फोटो उपलब्ध कराने का क्रेडिट ( Sobran Singh सर‌ को)



बहन जी ने मीडिया खड़ी करने की कोशिश की लेकिन जिन सम्पादक महोदय व टीम (आर पी मेहरा और प्रमोद कुरील) पर बहन जी ने जिम्मेदारी सौंपी उन्होंने ऐसा संचालन किया कि पत्रिका करोड़ों रुपए के घाटें में चली गई। फिर बहन ने इस घाटे की भरपाई की। इसके बाद सब ने हाथ खड़े कर दिए। मजबूरन बहन जी को ये पत्रिका बंद करनी पड़ी। इसके बावजूद ये महोदय लोग राज्यसभा का टिकट चाहते थे। वो मंशा पूरी करना बसपा के लिए उस समय संभव नहीं था। हालांकि बाद में, सपा के वीरेंदर भाटिया की मृत्यु के उपरान्त खाली हुई राज्यसभा सीट पर बहन जी ने एक लोग (प्रमोद कुरील, 2010-2012) को राज्यसभा भेजा भी।

फिलहाल, इसके बाद पत्रिका को घाटे में ले जाने वाले दूसरे महोदय (आर पी मेहरा), जिनको बहन जी ने मान्यवर के आवास को उनके रहने व मायायुग व अन्य जिम्मेदारियों को बिना बाधा निर्वहन करने के लिए दिया था, ने मान्यवर साहब के आवास पर कब्जा कर लिया। बहन जी ने मान्यवर साहब के आवास को स्मारक में बदलने के लिए जब घर खाली करने को कहा तो ये महोदय जबरन मान्यवर के आवास पर कब्जा जारी रखा। जब बहन जी ने उनसे मान्यवर साहब का आवास खाली कराया तो इन्होंने बहन जी पर ही पुलिस कम्पलेंट कर दिया। ये वाकिया अखबारों की सुर्खियों में भी रहा। फिलहाल, ये महोदय (आर पी मेहरा) भी अपने आप को मिशनरी होने का दावा करते हैं जबकि हकीकत ये है कि इन सब ने बहन जी को धोखा दिया है।

ऐसे में किस पर विश्वास किया जाए? जिस-जिस पर बहनजी ने विश्वास कर जिम्मेदारी सौंपी, सब ने बहन जी को, बसपा को, बहुजन आन्दोलन को धोखा दिया, गबन किया और बहन जी पर पैसा माँगने के गलत आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी, और बहुजन विरोधी दलों में शामिल हो गये। यही लोग बहन जी पर लगातार झूठे आरोप लगते रहते हैं, और पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जो पैसा इक्क्ठा करते हैं हैं, बहन जी जब जनता द्वारा पार्टी को दिए गए पैसे का हिसाब-किताब मांगती हैं तो ये लोग उल्टा बहनजी पर पैसा मांगने का आरोप लगा देते हैं।

ऐसे लोग अपनी आर्थिक मुक्ति कर लेने के बाद बहनजी को धोखा देकर अन्य दलों का दामन थाम कर मिशन चलाने का दावा करते हुए लगातार ओबीसी एससी एसटी और अल्पसंख्यकों को लगातार गुमराह कर रहे हैं। बसपा को छोड़ने वाले जो भी लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप लगते हैं वो इसी तरह के लोग हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जनता पैसा इक्क्ठा कर प्रायः गबन कर लेते हैं। जब इनसे इक्क्ठा किये पैसा का हिसाब माँगा जाता हैं तो ये लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप मढ़कर पार्टी से भाग जाते हैं। ये लोग जनता और मीडिया को सिर्फ यही बताते हैं कि बहन जी पैसा मांगती हैं, लेकिन ये धूर्त लोग ये नहीं बताते हैं कि बहन जी कौन सा पैसा मांगती हैं? जबकि हक़ीक़त ये हैं कि बहन जी इनसे पैसा नहीं मांगती हैं बल्कि पार्टी के नाम पर इन्होने जो पैसा इक्क्ठा किया हैं बहन जी उसका हिसाब मांगती हैं। बहन जी जनता द्वारा दिए गए उस पैसे को माँगती हैं जो जनता ने पार्टी को दिया हैं। ये धूर्त लोग बहन जी पर मिशन से भटकने का आरोप लगाकर लगातार दुष्प्रचार करते रहते हैं। अब बहुजन समाज ही तय करे कि कौन मिशन से भटक गया हैं?


सीख

मायायुग के इस हश्र के बाद उन लोगों को सबक मिलना चाहिए, जो लोग बहन जी बहुजन मीडिया ना खड़ा करने का आरोप लगाते है, कि बहन जी हर संभव प्रयास कर रहीं है कि बहुजन मूवमेंट को बेहतर बनाया जाए। लेकिन बहुजन समाज के स्वार्थी बिके हुए व चमचे किस्म के लोगों ने शुरू से लेकर आज तक बहन जी को धोखा ही देते आ रहे हैं। जिसकी वजह से आंदोलन में थोड़ा बहुत बाधा उत्पन्न हो जाती हैं। इन सबके बावजूद बहन जी सतत संघर्ष करते हुए दिन प्रतिदिन बहुजन आंदोलन को नए आयाम की तरफ कदम दर कदम अग्रसर हैं।




बहुजन युवाओं से अपील

बहुजन युवाओं का लगातार मार्गदर्शन करते आ रहे सुविख्यात समाज विज्ञानी प्रो विवेक कुमार सर Vivek Kumar हमेशा कहते हैं कि "नकारात्मक प्रचार भी प्रचार होता है"। इसलिए हम सबको अपने प्रतिद्वंद्वियों वह बहुजन समाज को धोखा देने वालों पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए। प्रो विवेक सर बताते हैं कि "यदि विचारों को लगातार ना मांजा जाय तो विचार मर जाते हैं।" इसलिए बहुजन युवाओं को चाहिए कि अपनी ऊर्जा व समय का सदुपयोग अपने बहुजन आंदोलन की वैचारिकी को मांजने, हर बहुजन तक पहुंचाने व अपनी बहुजन हुकूमत की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाते हुए ना बिकने वाले बहुजन समाज के सृजन में लगाना चाहिए।





RAJANI KANT INDRA




Friday, June 12, 2020

बहुजन समाज: नौटंकी आंदोलन से दूर रहे


          बहुजन समाज:  नौटंकी आंदोलन से दूर रहे



बहुजन समाज पार्टी गौतम बुद्ध (बौद्ध धर्म) के सिद्धांत पर चलती है कोई भी लड़ाई युद्ध से नही बुद्ध के मार्ग से भी जीती जा सकती है ।




बसपा का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की लड़ाई रहा है।एक हिसाब से वैचारिक सिद्धान्तों की लड़ाई लड़ रही है बसपा  का मुख्य हथियार मान्यवर कांशीराम साहब जी का केडर है।
 

जो बसपा के कार्यकर्ता या पदाधिकारीयों द्वारा बूथ में जाकर सैकड़ो लोगो को इकठ्ठा करके केडर के माध्यम से उन्हें जागरूक किया जाता है,बौद्ध भिक्षुओ की तरह 

हमारे सभी बहुजन महापुरुषों के विचारों को लोग समझ जाय तो उनका समस्या का हल हो सकता है ।

बाबा साहब ने लोगो के दुखों का अंत करने के लिए उन्हें सबसे बड़ा हथियार वोट का अधिकार दिया है जिससे न तो किसी को जान सहित मारने की जरूरत है ना ही हथियार उठाने की ।आप अपने वोट का सही उपयोग कर के दुखों का अंत कर सकते हो जो अपने आप नष्ट हो 
जायेंगे। इस बात को उत्तर प्रदेश में लोग जल्दी 
समझ गए वहाँ के लोगों ने चार बार बसपा की सरकार बनाई । वहाँ किसी बहुजन समाज को अपने अधिकार के लिए न तो धरना पदर्शन की जरूरत पड़ी न तो उग्र आंदोलन की।



   लेकिन लोगो को यह 
लगता है कि बसपा आंदोलन नही करती 
 मैं उनको बता देना चाहता हूँ कि इस बात के लिए आप गलत हो बहुजन समाज पार्टी आंदोलन करती है लेकिन सवैधानिक रूप से । क्योकि हम लोग संविधान  को मानने वाले लोग व संविधान के रक्षक, देश के कानून के हिसाब से चलते है इसीलिए हम लोग उग्र आंदोलन से बचते है।ताकि जन हानि का नुकसान न हो।



    लेकिन साथ ही यह भी आपको जानकर चलना है की सत्ता पक्ष मनुवादी है क्योंकि मनुवादी सरकार खुद चाहती है की आप सड़को पर निकल कर उग्र आंदोलन करे जिसे आपको मारना अहसान हो जाए।








क्योंकि इसका एक उदाहरण दे रहा हूँ जब सहारनपुर  में दंगा हुआ था तो बहुत सारे बेगुनाह दलित लोग मारे गए उसे भी ज्यादा युवा लोग जेल में थे जिसे आज तक जमानत नही मिला कुछ लोगों का अभी तक जेल में है जिनका कैरियर खराब हो गया समाज अभी भी पूरी तरीके से एकजुट नही है ,बहुजन समाज न तो सामाजिक,आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से मजबूत नही है।

                          

बहन जी हमेशा अपने बहुजन समाज को बचा कर चलती है क्योंकि उनका कहना है की अगर मेरा समाज के लोगो को कुछ हो गया तो उनके परिवार का क्या होगा इसमें केवल समाज का ही नुकसान है।
बहुजन समाज पार्टी  एक अनुशासित पार्टी है जो गौतम बुद्ध ,संत माता कर्मा ,संत कबीरदास ,संत रविदास,गुरु घासीदास ,महात्मा ज्योतिबा फुले, 
छत्रपति शाहू महाराज जी ,रामासामी पेरियार,बिरसा मुंडा और भारतीय संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर जी के विचारों पर चलती है।
70 साल से आज तक बहुजनो की केंद्र में सरकार नही बनी है इसका कारण मनुवादी मीडिया का भी रोल है क्योंकि मीडिया ने तीसरी शक्ति पैदा होने नही दिया क्योकि मीडिया केवल कांग्रेस और भाजपा को ही कवरेज करती है।

                         
            
एक व्यक्ति ने बोला कि बसपा वाले आंदोलन नही करते तो मैं इसका एक जवाब देना चाहता हूँ चलो मैं मान लेता हूँ कि हम लोग आप जैसे आंदोलन नही करते , तो आपको इसकी भी जानकारी होना चाहिए कि जब कॉंग्रेस की सरकार रहती है तो भाजपा उग्र आंदोलन करता है और जब बीजेपी की सरकार रहती है तो कांग्रेस उग्र आंदोलन करता है।यह हर 5 साल में नॉटंकी होते रहता है । झूठमूठ का आंदोलन जिसमे जनता को अपने तरफ आकर्षित कर सके। अब यह सवाल उठता है कि आप एक वोटर या जनता हो क्या आप वोट उसी को दोगे जो झूठमूठ का आंदोलन करता हो, यानी आप बीजेपी आंदोलन किया तो आप भाजपा को वोट दोगे या कांग्रेस आंदोलन किया तो आप कांग्रेस को वोट दोगे।



                     

                  
 
आप कितना भी आंदोलन कर लो जब तक आपके पास राजनीतिक सत्ता की चाभी नही होगा तब तक आपका शोषण एवं जुल्म अत्याचार होते रहेंगे.....
इस लिये आप ऐसी सरकार बनाये जिसे आपको किसी चीज का मांगने की जरूरत न पड़े आपको मांगने के लिये आंदोलन की जरूरत न पड़े।इसलिए आपको नौटंकी आंदोलन से दूर रहना चाहिए।



उम्मीद है कि मेरा लेख से आपको थोड़ा बहुत समझ आया होगा ।













                      



नोट:- इस लेख से हम किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचना हमारा मकसद नही है अगर किसी की भावनाओं  को ठेश पहुँचा हो उसके लिये क्षमा प्राथी.....

अगली लेख का इन्तेजार करे....

जय भीम
जय भारत


Er Satyajeet kurrey
Writer



Thursday, June 11, 2020

आरक्षण समर्थक आंदोलन एवं धरना का उद्देश्य


आरक्षण समर्थक आंदोलन एवं धरना का उद्देश्य








1.भारत वर्ष के सामाजिक रूप से समस्त पिछड़ी जातियों के आरक्षण की आवश्यकता पर सम्मानित संसद सदस्यों का ध्यानाकर्षण करना ।

2. विभिन्न स्थानों एवं विभिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार की पिछड़ी जातियों के लिए सभी प्रकार के आरक्षणों के विकास की सम्पूर्ण प्रक्रिया के संबंध में सामाजिक रूप से समस्त पिछड़ी जातियों को जानकारी देना एवं शिक्षित करना।
3.सामाजिक रूप से समस्त पिछड़ी जातियों को ऐसे तथ्यों, जैसे उनके लिए किसने संघर्ष किया और आरक्षण प्राप्त किया,किसने विरोध किया और उनके आरक्षण की विकास प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न किया, अब किससे संघर्ष करना है आदि के सम्बंध में जानकारी देना और शिक्षित करना।

4.अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों के आरक्षण का क्रियान्वयन न किये जाने के संबंध में उन्हें जानकारी देना एवं शिक्षित करना।
                                 
5.कागजो पर हिट हुए भी अप्रत्यक्ष तौर-तरीकों से अनुसूचित जाति/जनजातियों के आरक्षण को राज्यों एवं केंद्र सरकारों द्वारा नकारे जाने के सम्बंध में उन्हें जानकारी देना एवं शिक्षित करना।



6.गुजरात एवं अन्य जगहों में तथाकथित ऊंची जाति के कर्मचारियों से बड़ा सबक सीखने के बाद सामाजिक रूप से समस्त पिछड़ी जाति के कर्मचारियों को उनके दायित्वों एवम कर्तव्यों के संबंध में जानकारी देना और शिक्षित करना।
                                  

7.इस तथ्य को प्रकाश में लाना की हमारे द्वारा ग्रहण की हुई लोकतांत्रिक प्रणाली में आरक्षण का मामला मात्र रोजगार का मामला नही,बल्कि समस्त देश के शासन -प्रशासन में भागीदारी का मामला है।
                                      
8.अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को जानकारी देना एवं शिक्षित करना कि वे आज तक मान्यता एवम अधिकार विहीन क्यों हैं जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग इसे सन 1932 से प्राप्त करना प्रारंभ करके बाद के वर्षों में निरंतर प्राप्त करते रहे हैं।
                                       
9.अब उन्हें मान्यता अधिकार कैसे प्राप्त होगा?

10.मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने की आवश्यकता के सम्बंध में जनता को तैयार करना।
11.देश को समृद्ध कर आत्म निर्भर बनाने के लिए सामाजिक रूप से समस्त पिछड़ी जाति के आरक्षण की आवश्यकता के सम्बंध में अपने ऊंची जाति के भाइयों को शिक्षित करना।
12.सरकार पर दबाव डालने कि केंद्र एवम राज्य सरकारों का आरक्षण विरोधी दृष्टिकोण देश के लिए अहितकर है। देश के विशाल जनसमूह को निर्धन एवं अभावग्रस्त रखना देश को निर्धन बनाये रखना है।
                                                   
13.सरकार पर दबाव डालना की अनुसूचित जाति/जनजाति के आरक्षण का क्रियान्वयन न किया जाना तथा अन्य पिछड़े वर्ग के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट का अस्वीकार किया जाना, ऊँची जातियों और उनकी सरकार के लिए हितकर हो सकता है परंतु यह अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यकों के लिए कैसे हितकर हो सकता है?

जब यह पिछड़े वर्गों के लिए हितकर नही है तब उनसे चुप रहने की आशा नही की जानी चाहिए। आरक्षण समर्थक जन आंदोलन एवं धरनो से इस प्रकार और बहुत से उद्देश्यों की पूर्ति की जा सकेगी।






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संदर्भ- 
पृष्ठ-133,134मेरे संघर्षमय जीवन एवम बहुजन मूवमेंट का सफ़रनामा
लेखिका-कुमारी मायावती

सुनो कल के लड़को जितनी तुम्हारी उम्र भी नही हैं.. उतना 41 साल का तो बहन जी का सँघर्ष हैं.

👉सुनो कल के लड़को जितनी तुम्हारी उम्र भी नही हैं.. उतना 43 साल का तो बहन मायावती जी का सँघर्ष हैं.👈 यही हैं वो मासूम सी लड़की जो...