मायायुग की कहानी - बहुजन समाज के लिए एक सबक हैं
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कवर फोटो उपलब्ध कराने का क्रेडिट ( Sobran Singh सर को) |
बहन जी ने मीडिया खड़ी करने की कोशिश की लेकिन जिन सम्पादक महोदय व टीम (आर पी मेहरा और प्रमोद कुरील) पर बहन जी ने जिम्मेदारी सौंपी उन्होंने ऐसा संचालन किया कि पत्रिका करोड़ों रुपए के घाटें में चली गई। फिर बहन ने इस घाटे की भरपाई की। इसके बाद सब ने हाथ खड़े कर दिए। मजबूरन बहन जी को ये पत्रिका बंद करनी पड़ी। इसके बावजूद ये महोदय लोग राज्यसभा का टिकट चाहते थे। वो मंशा पूरी करना बसपा के लिए उस समय संभव नहीं था। हालांकि बाद में, सपा के वीरेंदर भाटिया की मृत्यु के उपरान्त खाली हुई राज्यसभा सीट पर बहन जी ने एक लोग (प्रमोद कुरील, 2010-2012) को राज्यसभा भेजा भी।
फिलहाल, इसके बाद पत्रिका को घाटे में ले जाने वाले दूसरे महोदय (आर पी मेहरा), जिनको बहन जी ने मान्यवर के आवास को उनके रहने व मायायुग व अन्य जिम्मेदारियों को बिना बाधा निर्वहन करने के लिए दिया था, ने मान्यवर साहब के आवास पर कब्जा कर लिया। बहन जी ने मान्यवर साहब के आवास को स्मारक में बदलने के लिए जब घर खाली करने को कहा तो ये महोदय जबरन मान्यवर के आवास पर कब्जा जारी रखा। जब बहन जी ने उनसे मान्यवर साहब का आवास खाली कराया तो इन्होंने बहन जी पर ही पुलिस कम्पलेंट कर दिया। ये वाकिया अखबारों की सुर्खियों में भी रहा। फिलहाल, ये महोदय (आर पी मेहरा) भी अपने आप को मिशनरी होने का दावा करते हैं जबकि हकीकत ये है कि इन सब ने बहन जी को धोखा दिया है।
ऐसे में किस पर विश्वास किया जाए? जिस-जिस पर बहनजी ने विश्वास कर जिम्मेदारी सौंपी, सब ने बहन जी को, बसपा को, बहुजन आन्दोलन को धोखा दिया, गबन किया और बहन जी पर पैसा माँगने के गलत आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी, और बहुजन विरोधी दलों में शामिल हो गये। यही लोग बहन जी पर लगातार झूठे आरोप लगते रहते हैं, और पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जो पैसा इक्क्ठा करते हैं हैं, बहन जी जब जनता द्वारा पार्टी को दिए गए पैसे का हिसाब-किताब मांगती हैं तो ये लोग उल्टा बहनजी पर पैसा मांगने का आरोप लगा देते हैं।
ऐसे लोग अपनी आर्थिक मुक्ति कर लेने के बाद बहनजी को धोखा देकर अन्य दलों का दामन थाम कर मिशन चलाने का दावा करते हुए लगातार ओबीसी एससी एसटी और अल्पसंख्यकों को लगातार गुमराह कर रहे हैं। बसपा को छोड़ने वाले जो भी लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप लगते हैं वो इसी तरह के लोग हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जनता पैसा इक्क्ठा कर प्रायः गबन कर लेते हैं। जब इनसे इक्क्ठा किये पैसा का हिसाब माँगा जाता हैं तो ये लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप मढ़कर पार्टी से भाग जाते हैं। ये लोग जनता और मीडिया को सिर्फ यही बताते हैं कि बहन जी पैसा मांगती हैं, लेकिन ये धूर्त लोग ये नहीं बताते हैं कि बहन जी कौन सा पैसा मांगती हैं? जबकि हक़ीक़त ये हैं कि बहन जी इनसे पैसा नहीं मांगती हैं बल्कि पार्टी के नाम पर इन्होने जो पैसा इक्क्ठा किया हैं बहन जी उसका हिसाब मांगती हैं। बहन जी जनता द्वारा दिए गए उस पैसे को माँगती हैं जो जनता ने पार्टी को दिया हैं। ये धूर्त लोग बहन जी पर मिशन से भटकने का आरोप लगाकर लगातार दुष्प्रचार करते रहते हैं। अब बहुजन समाज ही तय करे कि कौन मिशन से भटक गया हैं?
फिलहाल, इसके बाद पत्रिका को घाटे में ले जाने वाले दूसरे महोदय (आर पी मेहरा), जिनको बहन जी ने मान्यवर के आवास को उनके रहने व मायायुग व अन्य जिम्मेदारियों को बिना बाधा निर्वहन करने के लिए दिया था, ने मान्यवर साहब के आवास पर कब्जा कर लिया। बहन जी ने मान्यवर साहब के आवास को स्मारक में बदलने के लिए जब घर खाली करने को कहा तो ये महोदय जबरन मान्यवर के आवास पर कब्जा जारी रखा। जब बहन जी ने उनसे मान्यवर साहब का आवास खाली कराया तो इन्होंने बहन जी पर ही पुलिस कम्पलेंट कर दिया। ये वाकिया अखबारों की सुर्खियों में भी रहा। फिलहाल, ये महोदय (आर पी मेहरा) भी अपने आप को मिशनरी होने का दावा करते हैं जबकि हकीकत ये है कि इन सब ने बहन जी को धोखा दिया है।
ऐसे में किस पर विश्वास किया जाए? जिस-जिस पर बहनजी ने विश्वास कर जिम्मेदारी सौंपी, सब ने बहन जी को, बसपा को, बहुजन आन्दोलन को धोखा दिया, गबन किया और बहन जी पर पैसा माँगने के गलत आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी, और बहुजन विरोधी दलों में शामिल हो गये। यही लोग बहन जी पर लगातार झूठे आरोप लगते रहते हैं, और पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जो पैसा इक्क्ठा करते हैं हैं, बहन जी जब जनता द्वारा पार्टी को दिए गए पैसे का हिसाब-किताब मांगती हैं तो ये लोग उल्टा बहनजी पर पैसा मांगने का आरोप लगा देते हैं।
ऐसे लोग अपनी आर्थिक मुक्ति कर लेने के बाद बहनजी को धोखा देकर अन्य दलों का दामन थाम कर मिशन चलाने का दावा करते हुए लगातार ओबीसी एससी एसटी और अल्पसंख्यकों को लगातार गुमराह कर रहे हैं। बसपा को छोड़ने वाले जो भी लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप लगते हैं वो इसी तरह के लोग हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जनता पैसा इक्क्ठा कर प्रायः गबन कर लेते हैं। जब इनसे इक्क्ठा किये पैसा का हिसाब माँगा जाता हैं तो ये लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप मढ़कर पार्टी से भाग जाते हैं। ये लोग जनता और मीडिया को सिर्फ यही बताते हैं कि बहन जी पैसा मांगती हैं, लेकिन ये धूर्त लोग ये नहीं बताते हैं कि बहन जी कौन सा पैसा मांगती हैं? जबकि हक़ीक़त ये हैं कि बहन जी इनसे पैसा नहीं मांगती हैं बल्कि पार्टी के नाम पर इन्होने जो पैसा इक्क्ठा किया हैं बहन जी उसका हिसाब मांगती हैं। बहन जी जनता द्वारा दिए गए उस पैसे को माँगती हैं जो जनता ने पार्टी को दिया हैं। ये धूर्त लोग बहन जी पर मिशन से भटकने का आरोप लगाकर लगातार दुष्प्रचार करते रहते हैं। अब बहुजन समाज ही तय करे कि कौन मिशन से भटक गया हैं?
सीख
मायायुग के इस हश्र के बाद उन लोगों को सबक मिलना चाहिए, जो लोग बहन जी बहुजन मीडिया ना खड़ा करने का आरोप लगाते है, कि बहन जी हर संभव प्रयास कर रहीं है कि बहुजन मूवमेंट को बेहतर बनाया जाए। लेकिन बहुजन समाज के स्वार्थी बिके हुए व चमचे किस्म के लोगों ने शुरू से लेकर आज तक बहन जी को धोखा ही देते आ रहे हैं। जिसकी वजह से आंदोलन में थोड़ा बहुत बाधा उत्पन्न हो जाती हैं। इन सबके बावजूद बहन जी सतत संघर्ष करते हुए दिन प्रतिदिन बहुजन आंदोलन को नए आयाम की तरफ कदम दर कदम अग्रसर हैं।
मायायुग के इस हश्र के बाद उन लोगों को सबक मिलना चाहिए, जो लोग बहन जी बहुजन मीडिया ना खड़ा करने का आरोप लगाते है, कि बहन जी हर संभव प्रयास कर रहीं है कि बहुजन मूवमेंट को बेहतर बनाया जाए। लेकिन बहुजन समाज के स्वार्थी बिके हुए व चमचे किस्म के लोगों ने शुरू से लेकर आज तक बहन जी को धोखा ही देते आ रहे हैं। जिसकी वजह से आंदोलन में थोड़ा बहुत बाधा उत्पन्न हो जाती हैं। इन सबके बावजूद बहन जी सतत संघर्ष करते हुए दिन प्रतिदिन बहुजन आंदोलन को नए आयाम की तरफ कदम दर कदम अग्रसर हैं।
बहुजन युवाओं से अपील
बहुजन युवाओं का लगातार मार्गदर्शन करते आ रहे सुविख्यात समाज विज्ञानी प्रो विवेक कुमार सर Vivek Kumar हमेशा कहते हैं कि "नकारात्मक प्रचार भी प्रचार होता है"। इसलिए हम सबको अपने प्रतिद्वंद्वियों वह बहुजन समाज को धोखा देने वालों पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए। प्रो विवेक सर बताते हैं कि "यदि विचारों को लगातार ना मांजा जाय तो विचार मर जाते हैं।" इसलिए बहुजन युवाओं को चाहिए कि अपनी ऊर्जा व समय का सदुपयोग अपने बहुजन आंदोलन की वैचारिकी को मांजने, हर बहुजन तक पहुंचाने व अपनी बहुजन हुकूमत की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाते हुए ना बिकने वाले बहुजन समाज के सृजन में लगाना चाहिए।
बहुजन युवाओं का लगातार मार्गदर्शन करते आ रहे सुविख्यात समाज विज्ञानी प्रो विवेक कुमार सर Vivek Kumar हमेशा कहते हैं कि "नकारात्मक प्रचार भी प्रचार होता है"। इसलिए हम सबको अपने प्रतिद्वंद्वियों वह बहुजन समाज को धोखा देने वालों पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए। प्रो विवेक सर बताते हैं कि "यदि विचारों को लगातार ना मांजा जाय तो विचार मर जाते हैं।" इसलिए बहुजन युवाओं को चाहिए कि अपनी ऊर्जा व समय का सदुपयोग अपने बहुजन आंदोलन की वैचारिकी को मांजने, हर बहुजन तक पहुंचाने व अपनी बहुजन हुकूमत की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाते हुए ना बिकने वाले बहुजन समाज के सृजन में लगाना चाहिए।
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