हाथी हमारा चुनाव चिन्ह, शक्ति और बुलंद हौसले का प्रतीक
बहुजन समाज पार्टी का गठन , चूंकि बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर जैसे महापुरुष के समतामूलक सपने एवं इंसानियत पर आधारित समाज बनाने के उद्देश्य से ही किया गया है, इसलिए उनकी हर बात हमारे लिए कानून का दर्जा रखती है । वैसे भी बहुजन समाज पार्टी अम्बेडकरवादी संघर्ष है और तब तक रहेगा जब तक *सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति* का बहुजन समाज का आंदोलन पूरी तरह सफल नही हो जाता ।
अब चुनाव चिन्ह के मामले को लें । बी.एस. पी. अगर चाहती तो साइकिल चुनाव चिन्ह उसे आसानी से देश भर के लिए मिल सकता था । लेकिन बी.एस.पी. ने बाबा साहब का रास्ता अख्तियार करते हुए " हाथी " चुनाव चिन्ह चुना ।
लोगों की राय थी कि चुनाव चिन्ह *साइकिल* होनी चाहिए क्योंकि बी.एस.पी. का ज्यादातर जन-आंदोलनों को भारत भर में पार्टी समर्थक, कार्यकर्ताओं ने जन-जन तक साइकिल पर सवार होकर ही पहुंचाया था । यह बहुजन समाज के गरीब, कमजोर व साधनहीन लोगों का सबसे कम खर्च वाला व कहीं भी पहुंचने वाला आसान साधन है । इसी साधन के माध्यम से बी.एस.पी. ने अपनी बड़ी-बड़ी रैलियों, जनसभाओं व अन्य कार्यक्रमो को बड़े पैमाने पर सफल भी बनाये हैं । पार्टी के संस्थापक व जन्मदाता मान्यवर कांशीराम जी ने खुद साइकिल पर सवार होकर अपने महापुरुषों के विचारों व आंदोलनों को, जन-जन तक पहुंचाने के लिए कई हजार किलोमीटर साइकिल यात्राएं की । इस प्रकार बी.एस.पी. और साइकिल एक-दूसरे के पूरक बन गए थे ।
बाबा साहब की भावना हमे प्रिय है, क्योंकि वह पवित्र उद्देश्यों पर आधारित है । सबसे पहले *हाथी* चुनाव हमारी पार्टी को उत्तर प्रदेश और पंजाब के अच्छे परफॉर्मेंस की बदौलत पूरे देश मे हमारे लिए आरक्षित हुआ । *हाथी* हमारी शक्ति और बुलंद हौसले का भी प्रतीक है । साथ ही हमारा प्रिय नारा भी है कि:-
चलेगा हाथी, उड़ेगी धूल
न रहेगा पंजा (कांग्रेस)
न रहेगा फूल (भाजपा)
भारत के निर्वाचन आयोग ने मई 1991 में होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा के लिए *हाथी* चुनाव चिन्ह बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी) के उम्मीदवारों के लिए 17 अन्य राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों में आरक्षित
करने का निर्णय लिया । दो बड़े राज्यों पंजाब और उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. को मान्यता प्राप्त होने के कारण हाथी चुनाव चिन्ह पहले से ही आरक्षित है ।
करने का निर्णय लिया । दो बड़े राज्यों पंजाब और उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. को मान्यता प्राप्त होने के कारण हाथी चुनाव चिन्ह पहले से ही आरक्षित है ।
निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के पैरा 10 के तहत पत्र क्रमांक:56/46/90, दिनांक 16 अप्रेल 1991 द्वारा सभी 17 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को टेलेक्स उस वायरलेस भेजकर इस फैसले की जानकारी दी गयी है ।
हाथी चिन्ह के बारे में बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के विचार:
भाई गुराची नरडी थोटुन पोसलेसी वाथ, सिंहाची क्रूर शक्ति आणि हत्तीची निष्पाप बलाढ्य शक्ति, यामध्यें जितकाफरक आहे, तद्धटच भांडवलदाराच्या मिलघावर कष्टकारी बहुजन समाजच्या रक्तावर पोसलेले इतर राजकीय पक्ष आणि माझा हांच्यात आहे म्हणूनच मझया पक्षाची अधिकृत निशाणी 'हत्ती आहे ।
*हिंदी अनुवाद:-----*
*मवेशियों के गला घोंटकर पले हुए बाघ, सिंह की बर्बर शक्ति में और हाथी की निष्पाप असीम शक्ति में जितना अंतर है, उतना ही अंतर पूंजीपतियों द्वारा मेहनतकश बहुजन समाज के खून पर पाली हुई अन्य राजनीतिक पार्टियों और मेरी पार्टी में अंतर है । इसलिए मेरी पार्टी का अधिकृत चिन्ह *हाथी* है ।
(बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर)
बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार इसके बाद, पंजाब और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ जिन अन्य 17 राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों में आरक्षित चुनाव चिन्ह *हाथी* पर चुनाव लड़ सकेंगे वे हैं -
1. जम्मू व कश्मीर
2. हिमाचल प्रदेश
3. हरियाणा
4. राजस्थान
5. मध्यप्रदेश
6. गुजरात
7. महाराष्ट्र
8. कर्नाटक
9. केरल
10. आंध्रप्रदेश
11. उड़ीसा
12. पश्चिम बंगाल
13. बिहार
14. चंडीगढ़
15. दिल्ली
16. दादर एवं नगर हवेली तथा
17. दमन और दिव ।
(साभार: मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन मूवमेंट का सफरनामा लेखक:बहन कु.मायावती जी )
जय भीम
रमेश जाटवर
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