स्त्रियों को लेकर शिक्षित समाज भी जजमेंटल और रूढ़िवादी है.... हैरानी तब होती है जब पढ़ा लिखे युवक/युवती भी इसी रूढ़िवादी समाज की हाँ में हाँ मिलाते हैं....
उदाहरण --
Zeeya Suryavanshi |
उदाहरण --
(1) एक स्त्री का चरित्र तभी सही है जब वो लम्बे बाल रखे नहीं तो कोई लड़का शादी नहीं करेगा।
(2) एक स्त्री का रंग गोरा होना चाहिए साथ ही सुगठित शरीर हो तभी लड़की अच्छे घर में ( पैसे वाला पति से) ब्याही जाएगी।
(3) एक स्त्री और पुरुष दोनों का प्रेम करना समाज के नजरिए में चरित्र हीनता है।
(4) एक स्त्री का शादी के बाद अपने से बड़े( जेठ/सास/ससुर.... आदि) के सामने घूँघट रखना बहुत जरूरी है नहीं तो वो चरित्रहीन लड़की है।
(5) एक स्त्री का शादी के बाद अपने लड़के मित्रों से मिलना और कॉल पर बात करना उसे चरित्रहीनता की श्रेणी में लाता है।
(6) एक स्त्री का 4 लड़को के बीच बात करना उसे चरित्रहीन बनाता है।
(7) एक स्त्री का शादी से पहले अपने प्रेम का "इजहार' करना( सोसल मीडिया पर अपनी फीलिंग्स और फ़ोटो डालना) उसे चरित्रहीन बनाता है।
(8) एक साँवली और काली लड़की को पहले उसके "चेहरे" से ही जज कर लिया जाता है।जबकि और भी बहुत सारी चीजें है....जो समाज(रूढ़िवादी+प्रगतिशील) द्वारा एक स्त्री को देखने का नजरिया निर्धारण कर देता है। मुझे दुख और हैरानी इस बात की नहीं होती है कि कोई रूढ़िवादी व्यक्ति किसी स्त्री/पुरुष को जज करे ऊपर 8 बिंदुओं के हिसाब से।बल्कि हैरानी तब होती है जब वर्तमान के युवक/युवती भी उपरोक्त 8 बिंदुओं के हिसाब से लोगों को जज करते हैं।
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