कार्ल मार्क्स एक बहुत बड़े विद्वान थे । वह इंग्लैंड की लाइब्रेरी में दिनरात अध्ययन करते थे । अपने अध्ययन का निचोड़ उन्होंने कैपिटाल नामक ग्रंथ में लिखा था । अब तक के विद्वानों ने दुनिया की ब्याख्या की थी । मार्क्स ने दुनिया बदलने की योजना पर चर्चा की ।
उस दिशा में मार्क्स ने बहुत काम किया था । उनके शिष्य लेनिन ने इस ग्रंथ पर विचार करके उसे अमलीजामा पहनाने का कार्य किया कई जगह मार्क्स कम पड़े थे उनकी जगह लेनिन ने अपने हुनर से कार्य किया यह एक तरह का मार्क्स के विचारों को आगे ले जाने का कार्य था क्योंकि वह कमरे में बैठकर लिख रहे थे तो, लेनिन मैदाने जंग के खिलाड़ी थे, एक ही हुनर काम नही आ रहा था । इसलिए उन्हें पैंतरे बदलने पड़े थे इस कारण मार्क्स छोटे नही हो गए उल्टे मार्क्स का यह लेनिन नामक शिष्य अपनी ऊँचाई बढ़ा रहा था । शिष्य के साथ गुरु की भी ऊँचाई बढ़ रही थी, लेकिन बहुत जल्द वे मौत को प्राप्त हुए ।
![]() |
Karl Heinrich Marx |
लेनिन का शिष्य स्टालिन था लेनिन की कमी स्टालिन ने पूरी कर दी उनके कुछ रुके हुए काम स्टालिन को करने पड़े अगर स्टालिन नही होते तो लेनिन की क्रांति खत्म हो जाती । कई जगह लेनिन अपर्याप्त लगे वहाँ पर स्टालिन ने अपनी बुद्धि व हुनर से काम किया ।
![]() |
Joseph Vissarionovich Stalin |
5 मार्च 1953 में स्टालिन का रूस में देहांत हुआ, तो उसे श्रंद्धाजलि देते हुए बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर रो पड़े और बोले कि रूस का कायाकल्प एक चमार के हाथों हुआ था । काश, इस देश मे भी ऐसा चमार पैदा होता क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए किसी न किसी को पैदा होना पड़ता है या पैदा करना पड़ता है ।
रमेश जाटवर
No comments:
Post a Comment