संसद चलो, अपने पैरों पर चलो

मान्यवर कांशीराम साहब ने अपने जीवन मे बहुत से आंदोलन व कार्यक्रम किए उन सबका उद्देश्य अपने लक्ष्य की पूर्ति और बहुजन समाज को जागरूक व सावधान करने के लिए था । एक बार मान्यवर साहब ने "संसद चलो, अपने पैरों पर चलो" नाम का आंदोलन किया था । इसका मतलब था कि अगर हम दूसरी पार्टी के मातहत व बल पर संसद या विधानसभा में चुनकर जाते हैं तो उनके बंधुआ मजदूर बन जाते हैं हम अपने उद्देश्य की पूर्ति नही कर सकते। आज बीजेपी, कांग्रेस में बहुत से एस. सी./एस.टी. के विधायक व सांसद हैं पर उनके ही समाज पर रात-दिन अन्याय, अत्याचार होते हैं, परन्तु वे अपने मुंह पर ताला लगाकर चुप रहते हैं । वे उनके नाम व उनके ताकत से चुनकर आते हैं इसलिए अपने समाज के लिए कुछ नही कर सकते वे मनुवादी और उनके गुलाम होते हैं उन्हें विवेक बुद्धि नहीं होती, होती भी है, तो उसका उपयोग नहीं कर सकते, यदि उन्होंने जरा भी अपनी अक्ल का उपयोग किया कि अगली बार उन्हें, या तो टिकट नही मिलती या मिली भी, तो उन्हें चुनकर नहीं आने दिया जाता ।

आज कितने ही एस. सी./एस. टी. के विधायक, सांसद हैं फिर भी उनकी जाति पर अत्याचार होते हैं । यह विधायक, सांसद, मंत्री कहलाने वाले लोग अपने समाज के लिए कुछ प्रतिक्रिया तक ब्यक्त नही दे सकते ।इसीलिए मान्यवर कांशीराम साहब ने कहा यदि अपने समाज के ऊपर हो रहे अन्याय, अत्यचार के खिलाफ बोलना चाहते हो तो "संसद चलो, अपने पैरों पर चलो"
जय भीम
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