अंबेडकरवादी चार तरह के होते हैं :- साहब कांशीराम

अंबेडकरवादी चार तरह के होते हैं :- साहब कांशीराम




 बंगा- नवांशहर ( पंमी लालो मजारा)

1. हरिजन अंबेडकरवादी।

2. ब्राह्मणवादी अंबेडकरवादी।

3. बिकाऊ अंबेडकरवादी।

4. टिकाऊ अंबेडकरवादी ।

1. हरिजन अंबेडकरवादी :-

      ऐसा अंबेडकरवादी बार-बार हरिजनों  के ऊपर अत्याचार या बार-बार बलात्कार की बातें तो मस्का लगा लगा कर करेगा। पर जब कहीं समाज को उसके सहयोग की जरूरत महसूस होगी तो वह उनके साथ खड़ा हुआ नजर आएगा जिनके साथ उसका लेनदेन हुआ होता है। 


2. ब्राह्मणवादी अंबेडकरवादी :-

        ऐसा अंबेडकर वादी मंच से ब्राह्मणवाद  तथा रामायण, गीता और महाभारत की खूब धज्जियां उड़ाएगा। पर घर पहुंचते ही घरवाली को साथ लेकर घंटों हाथों में  घंटियां  पकड़ कर बजाता हुआ, नायक पूजा करता हुआ नजर आएगा।

3. बिकाऊ अंबेडकरवादी :-

        इस तरह का अंबेडकरवादी बाबा साहेब की जयंती भी मनाता है और परिनिर्वाण दिवस भी। उसका मंच हमेशा दूसरों के लिए खुला रहता है । मतलब कि कोई भी उसके मंच को अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर सकता है। बदले में उसको मंच पर कुर्सी जरूर मिलनी चाहिए और साथ ही उसकी जेब गर्म होनी चाहिए।
 
 4. टिकाऊ अंबेडकरवादी :-

        ऐसे अंबेडकरवादी की ना तो कोई अकड़ होती है और ना ही कुर्सी की भूख वह ना ही कोई लोग दिखावा। वह बाबा साहेब का जन्मदिन भी मनाता है और परिनिर्वाण दिवस भी। पर मनाता अपने समाज में से थोड़े थोड़े पैसे इकट्ठे करके है। ऐसे अंबेडकरवादी के प्रोग्राम में और मंच में सिर्फ उसके अपने समाज के लोग ही सुशोभित होते हुए नजर आते हैं। ना कोई ब्राह्मण बैठा नजर आएगा ना ही कोई ठाकुर।
       साहिब ने उपरोक्त ऐतिहासिक शब्द 1990 को कोलकाता के सबसे बड़े गुरु रविदास मंदिर मे उच्चारण किए थे। साहब अपने बेशकीमती समय में से  केवल 15 मिनट निकालकर पधारे थे।

* बहुजन आंदोलन अगर चलाना है तो महात्मा फुले की किताब पढ़ लो। अगर बहुजन आंदोलन को हाशिए पर धकेलना हो तो महाराष्ट्र के महारों से सीख लो 
:-  साहब कांशी 
(मेरी आ रही पुस्तक में कांशीराम बोल रहा हूं मैं से) लेखक -पंमी लालोमज़ारा.( पंजाब  ) 
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