Friday, July 31, 2020

क्या हम इन लड़ाकू विमानों की तरह प्रेम का स्वागत कर पाएंगे ?





क्या हम इन लड़ाकू विमानों की तरह प्रेम का स्वागत कर पाएंगे??

इन यद्ध अस्त्रों को देख कर दुख होता है...
प्रश्न उठता है स्वतः ही....और उत्तर भी कि,
नीति निर्माताओं को अधिक से अधिक वे हाथ तैयार करने थे जो कलम पकड़ सकें..
उन चेतनाओं का संरक्षण करना था, जो ज्ञान और तर्क धारण करते...
और उन वाणियों को प्रसारित करना था,जो ब्रह्मांड का रहस्य खोलते...


काश विश्व में खींची सीमाएं मिट जाए....
और न कोई सत्ता हो न कोई शोषक हो...
बस प्रकृति ही पोषक हो...
तब इन हथियारों की ज़रूरत ही न रहेगी..
तब जंगल प्रेम गाएंगे..
झरने स्नेह बहाएंगे..
मिट्टी साहस उपजायेगी..
हवा ज्ञान फैलाएगी.….
और इंसान इश्क़ करेगा....


रोशनी बंजारे "चित्रा"

No comments:

Post a Comment

सुनो कल के लड़को जितनी तुम्हारी उम्र भी नही हैं.. उतना 41 साल का तो बहन जी का सँघर्ष हैं.

👉सुनो कल के लड़को जितनी तुम्हारी उम्र भी नही हैं.. उतना 43 साल का तो बहन मायावती जी का सँघर्ष हैं.👈 यही हैं वो मासूम सी लड़की जो...