देश जगाने आया हूं मै देश जगा कर जाउंगा...
जिस धरती पे मैने जन्म लिया है उसका कर्ज चुकाउंगा।।
जागो-जागो हे युवा साथीयो कब तक यैसे सोओ गे..
अपने हक, अधिकार के खातिर कब तक यैसे रोओगे।।
मै आया हुं तुम्हे बताने महापुरुषो के बलीदानो को..
जीसने तो देदी कुर्बानी अपने ही संतानो को..
पढ़लो कुछ तुम अम्बेडकर को पढ़लो कांशीराम को।।
जिसने तुमको दिया है ताकत कलम के अधिकार को..
मै उन महामानव की तुमको ये बात बताने आया हूं..
शिक्षा है ओ फल, जिसका मै स्वद चखाने आया हूं..
देश जगाने आया हूं मै देश जगा कर जाउंगा..
जिस धरती पे मैने जन्म लिया है उसका कर्ज चुकाउंगा।।
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छोटू सोनवानी (अकलतरा) |
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