Monday, June 8, 2020

हमे मजबूत नहीं मजबूर सरकार चाहिए

हमे मजबूत नहीं मजबूर सरकार चाहिए 


मान्यवर साहब कांशीराम से जब पत्रकार प्रश्न करते तो साहब ऐसा सटीक जवाब देते कि पत्रकारों की बोलती बंद हो जाती और दूसरा प्रश्न न का पाते। एक बार पत्रकार न कहा साहब क्या आप भारत की मजबूत सरकार चाहते हैं? साहब ने जवाब दिया हमें मजबूत नहीं हमें मजबूर सरकार चाहिए, हमें उस वक्त तक कमजोर केन्द्र की जरूरत है जब तक हम खुद कमजोर हैं।

हालांकि ये भी सच है अगर बार-बार चुनाव होता है तो सरकार का पैसा बहुत खर्च होता है, परन्तु साहब इस बात को जानते थे कि जितनी भी बार चुनाव होगा, उतनी ही बार हमारे लोग जागरूक होंगे वोट बैंक भी बढ़ेगा. बार-बार चुनाव होने से मजदूर, कमेरा वर्ग(बहुजन समाज) आगे आयेगा तथा मजदूर कमेरा वर्ग ही आम आदमी की भलाई के बारे सोच सकेगा। इसके अलावा साहब चुनाव में कम से कम खर्च हो इसके लिए भी ज्ञापन दे चुके थे। 

एक बार पत्रकार ने कहा 'साहब आप जानते हो कि आपने चुनाव जीतना नहीं, फिर भी आप चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े कर देते हो, ऐसा क्यों? साहब ने जवाब दिया 'हम पहली बार चुनाव लड़ते हैं हारने के लिए दूसरी बार चुनाव लड़ते है हराने के लिए और तीसरी बार चुनाव लड़ते हैं, खुद जीतने के लिए।
 इस प्रकार साहब की नपे तुले शब्दों की शब्दावली सभी का प्रभावित करती थी।




Er Satyajeet Kurrey

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