भारत को बौद्धमय बनाना है


एक समय की बात थी ...... मान्यवर साहब कांशीराम जी जब भारत की राजनीति में उभर कर आये तब तक बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर की मूवमेंट को मनुवाद पूर्ण रूप निगल चुका था , लेकिन साहब बाबा साहब की मूवमेंट को  मनुवाद के हलके से बाहर निकाल कर लाये यह एक कड़वा सच है। अगर साहब कांशीराम इस मिशन को लेकर न आते तो आने वाली पीढियां बाबा साहब डॉ.अम्बेडकर के महान संघर्ष को भुला देतीं ।
 इस प्रकार अम्बेडकर मूवमेंट में साहब कांशीराम ने एक सजग प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका अदा की। बाबा साहब की मूवमेंट को आगे बढ़ाते हुए साहब ने बाबा साहब के सपनों का बौद्धमय भारत का निर्माण करने के लिए अनेक जगह लोगों को सम्बाधित किया। 15 मार्च 2003 में दादर मुम्बई शिवाजी पार्क (महाराष्ट्र) में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए साहब कांशीराम ने कहा 'आज देश की 100 करोड़ की आबादी में एक करोड़ भी बौद्ध नहीं हैं, क्यों नहीं हैं? क्योंकि जो पढ़ लिख कर नौकरी में है वो बौद्ध नहीं है, जो पढ़ लिख कर नौकरी की तलाश में है वो बौद्ध नहीं है, जो स्कूल कॉलेज में पढ़ रहे हैं वो बौद्ध नहीं हैं और जो होशियार हैं वो बौद्ध नहीं है, तो फिर देश में 100 करोड़ की आबादी में से एक करोड बौद्ध कैसे होंगे और भारत बौद्धमय कैसे बनेगा, तो फिर बाबा साहब डॉ. आम्बेडकर का भारत बौद्धमय कैसे बनेगा, तो फिर बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर का भारत को बौद्धमय बनाने का सपना कैसे पूरा होगा। इसलिए हमने फैसला किया है कि 2006 में बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर की बौद्ध धम्म अपनाये 50 साल पूरे हो जाएंगे, जिसकी 2006 में गोल्डन जुबली होगी, जब गोल्डन जुबली होगी तो मुझे भरोसा है मैं बौद्ध बनूँगा, मायावती बौद्ध बनेंगी, जब अकले उत्तर प्रदेश में कम से कम 3 करोड़ लोग बोद्ध बनेंगे, तो उसका असर महाराष्ट्र और देश के दूसरे राज्यों में जरूर पड़ेगा। अगर न भी पड़े तो कम से कम देश में तीन करोड़ तो बौद्ध होंगे ही, जो आज तक । करोड़ की संख्या पार नहीं कर पायें हैं। आगे साहब ने बताया कि भारत के प्रत्येक राज्य में बहुजन पर बौद्ध धम्म का असर दिखाई दे रहा है और बहुजन बड़े पैमाने पर बौद्ध बनेंगें  अन्य जातियों पर भी असर होगा तो वो बौद्ध बनेंगी। जिससे सम्पूर्ण भारत बाबा साहब के सपनों का बौद्धमय भारत बन जाएगा। तब भारत में जाति विहीन समाज की स्थापना सम्भव हो पाएगी।
साहब ने नागपुर में धर्म और राज को एक ही सिक्के के दो पहलू बताया कि धर्म के बिना राज और राज के बिना धर्म नहीं बढ़ सकता, इसलिए मुझे भी पीछे मुड़कर सोचना पड़ा कि जब महान सम्राट अशोक बौद्ध बना, तो बड़े पैमाने पर बौद्ध धम्म फला फूला  और  जब सम्राट हर्षवर्धन बौद्ध बना तो भी बौद्ध धम्म फला फुला जो इसलिए, अगर बौद्ध धम्म को फलना फूलना है तो जो लोग बौद्ध धम्म को फैलाने वाले हैं उन लोगों को हुक्मरान बनना जरूरी है, अगर वो हुक्करान बनते हैं तो बोद्ध धर्म भी फलता फूलता है। 
 इस प्रकार साहब ने बौद्ध धम्म की शरण में जाने के लिए भारत के कौने-कौने में जाकर प्रचार किया क्योंकि बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर जाती विहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे तथा  केवल बौद्ध धम्म ही ऐसा धम्म है जिसमें जाति नहीं है जिससे जाति विहिन समाज की स्थापना हो सकती है तथा 
षडयन्त्रकारियों द्वारा भारत से खदेड़ा गया ढाई हजार साल पुराना पूर्वजों का धम्म हमारी आस्था का केन्द्र बनेगा।



जय भीम
जय भारत
जय कांशीराम

                                   
Er Satyajeet kurrey



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